Mann
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हरी नाम भजता जा ओ मेरे प्यारे
हरी नाम से है संसार सारा
हरे कृशन गोविंद हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा
हरी बोल, हरी बोल,हरी बोल …..२
भागती के प्रेम गंगा मे
अपने मन को नहा लो
मिट जाएगा पाप मन का सारा
हरे कृशन गोविंद हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा
हरी बोल, हरी बोल,हरी बोल …..२
मुरलीधर, हमने तो सुना है
तू है जग का पालक
लो कर दी हवाले, मेरे सारा जीवन
हरी बोल, हरी बोल,हरी बोल …..२
हरे कृशन गोविंद हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा
हरी, मेरा जीवन
प्रेम सरिता से सज़ा दो
नादुख़ हो,ना कालेश
प्रेम ही प्रेम जीवन
हरे कृशन गोविंद हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा
हरी बोल, हरी बोल,हरी बोल …..२
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