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हे प्रिय …

Mann
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हे प्रिय …
अपने ह्रदय की पीड़ा
कैसे तुम्हे बताऊ मैं
कैसे तन्हा सुलगता हूँ
कैसे तुम्हे समझाऊँ मैं ….
अपने ह्रदय की पीड़ा ……
तुम कहती हूँ
मैं कहता नहीं
अपने दिल की बात तुम्हे
जो तुम अपना दर्द सुनाती हो
वही तो मेरा भी है हाल प्रिय
अपने ह्रदय की पीड़ा ……
हर-पल में
नाम तुम्हारा हैं
करता हूँ मैं
ध्यान प्रिय ….
तुम प्रेम ज्योत
की बाती हो ….
मैं तेल बना हूँ
ये मान प्रिय …..
अपने ह्रदय की पीड़ा
कैसे तुम्हे समझाऊँ
प्राण प्रिय ………
*******मन लव स्वाति*********

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