Mann
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कलि का खिलना
फुल बन भँवरें से मिलना
कि वही बात है
जैसे ये नजर मिलती है
सावन का आना
बदल का छाना
थिरकना मयूर का
कि वही बात है
जैसे ये दिल धड़कती है
चाँद का आना
बदल में छिप जाना
जी वही बात है
जैसे तेरी ये नजर झुकती है
सागर कि लहरों का आना
किनारे से लौट जाना
कि वही बात है
जैसे मेरी ये नगर कराती है
*****मन लव स्वाति*******
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