Mann
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ये मैं क्या जानू,क्यों खफा है तू मुझसे
मैं तो बस इतना जनता हूँ मेरा दिल धरकता है तुझसे
चाहे जीतनी खफा होले ,पर मेरी जरा सुनले
तुझे एक पल न सोचु तो मेरी जान जाती है …………..
रमा हूँ तुझमे इतना मैं ,जैसे बादल में रहे पानी
गरज के मैं भी बरसा हूँ जब तुम्हारी याद आती हैं ….
फूलो में जैसे खुसबू ,खोया हूँ तुझमे मैं
जब कोइ फूल मुस्काये तुम्हारी याद आती है
मन के समंदर में हैं लाखो हलचल
न कोइ जान सका अब तक
मेरे ओठ मुस्काये और मेरी आंखे रोई है………..
मैं भी भूलूंगा तुझको सुन ये लोग कहते है
पर मेरे भुलाने की आदत में बस फरक है इतना
न मैं कभी तुझको भुला हूँ न तू मुझको याद आई है ………..
*******************************मनदीप
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