Mann
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मैं उसे चाहता हूँ कितना
न अब तक जान सका हूँ मैं
ये मेरी तन्हा राते जानती है
या ये पागल दिल समझता है …..
मेरे पैरो में है जकरि समाज की बेरी
ये तो ये लोग समझते है हममे कर दी है दूरी
वो बसी है मेरी सांसो में ,मैं बसा तेरे दिल में
फिर मैं तुझसे दूर कैसे हूँ ,तू मुझसे दूर कैसी है ..
चाहे खरे करले लाख दीवारे ,मेरी चाहत फान जाएगी
चाहे जीतनी बढे दूरी,हमारी चाहत पास लाएगी
अगर बिछरे न मिले मुझको ….
खुद में समां लूँगा तुझको …..
जब भी कोइ नाम मेरा ले तो तुम्हारी बात आए …
लोग कहते हैं की मैं पागल
मनदीप बना फिरता ………………
मेरा मन यूँ जला तेरे दीप में,के भूलूंगा तुझसे जिसदिन
इधर मेरी जान जायेगीं ,उधर तुझे मेरी याद आएगी …….
*********************************************मनदीप
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